एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों का शीघ्र उपचार - कर्मा आयुर्वेदा


एक्यूट किडनी फेल्योर तब होता है, जब आपकी किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना अचानक से बंद कर देती है। जब किडनी की रक्त छानने की क्षमता खराब हो जाती है, तो रक्त में विषाक्त पदार्थ खतरनाक स्तर पर जमा होने लगते हैं और इससे खून की रासायनिक संरचना असंतुलित हो जाती है। भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदाजहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। साथ ही एक्यूट किडनी फेल्योर जिसे हम एक्यूट किडनी विफलता या एक्यूट किडनी चोट भी कहते हैं। यह कुछ दिनों में या कुछ घंटों में तेजी से विकसित हो सकती है। , जिन्हें अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है, उनमें एक्यूट किडनी फेल्योर सामान्य रूप से अधिक होती है। एक्यूट किडनी फेल्योर बेहद घातक हो सकता है और इसके लिए विशेष उपचार की आवश्यकता होती है, हालाकिं एक्यूट किडनी फेल्योर को वापस सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है। साथ ही अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा है, तो आप किडनी को सामान्य रूप से काम करने के लिए बेहतर बन सकते है।

बता दें कि, सही कार्य करने वाली दोनों किडनी किसी कारणवश अचानक नुकसान से थोड़े समय के लिए काम करना कम या बंद कर दें, तो उसे हम एक्यूट किडनी फेल्योर कहते हैं। एक्यूट किडनी फेल्योर को एक्यूट किडनी इंजरी भी कहा जाता है।

एक्यूट किडनी फेल्योर होने के कारण -

एक्यूट किडनी फेल्योर होने के मुख्य निम्नलिखित कारण हैं
·         अधिक दस्त और बार-बार उल्टी होने के कारण शरीर में पानी की मात्रा में कमी और रक्त के दबाव का कम होना
·         गंभीर इंफेक्शन, गंभीर बीमारी या एक बड़ी शल्य चिकित्सा के बाद
·         स्टोन की वजह से मूत्रमार्ग में अवरोध होना
·         glucose-6-phosphate dehydrogenase (G6PD Deficiency) का होना। इस रोग में रक्त के रक्तकण कई दवाओं के प्रयोग से टूटने लगते हैं, जिससे किडनी अचानक फेल भी हो सकती है।

साथ ही फेल्सीफेरम मलेरिया (falciparum malaria) और लैप्टोस्पाइरोसिसस (leptospirosis), रक्त में गंभीर इंफेक्शन, किडनी में गंभीर इंफेक्शन, किडनी में विशेष प्रकार की सूजन, स्त्रियों में प्रसव के समय रक्त के अत्यधिक दबाव का होना या अधिक रक्त का बहाव जाना, दवा के विपरीत असर होना, सांप का डासना, स्नायु पर अधिक दबाव से उत्पन्न जहरीले पदार्थों का किडनी पर गंभीर असर होना आदि एक्यूट किडनी फेल्योर के गंभीर कारण होते हैं।
  
एक्यूट किडनी फेल्योर के जोखिम कारक -

·         किडनी में होने वाले रक्त प्रवाह को धीमा कर देती है
·         किडनी में होने वाली क्षति को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करते हैं
·         किडनी यूरिन निकासी निलियां अवरूद्ध हो जाती है और अपशिष्ट आपके यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं।

अन्य कारक
एक्यूट किडनी फेल्योर लगभग किसी एक अन्य चिकित्सकीय स्थिति या घटना से संबंधित होता है। एक्यूट किडनी फेल्योर के जोखिम को बढाने वाली स्थितियों में निम्न शामिल है -
·         बढ़ती उम्र
·         बाजुओं या पैरों की रक्त वाहिकाओं में रुकावट
·         डायबिटीज
·         हाई ब्लड प्रेशर
·         हार्ट फेल्योर
·         किडनी में खराबी
·         लिवर रोग

एक्यूट किडनी फेल्योर के लक्षण –
एक्यूट किडनी फेल्योर में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रूकावट होने से अपशिष्ट उत्पादों को शरीर में तेजी से संचय होता है और पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन में गड़बड़ी हो जाती है। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के लक्षण तेजी से विकसित होते है। यह लक्षण अलग-अलग मरीजों में विभिन्न प्रकार के कम या अधिक मात्रा में हो सकते हैं -
·         अधिक उल्टी होना और मतली
·         भूख कम या नहीं लगना
·         एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की कार्यक्षमता अल्प अवधि में थोड़े दिनों के लिए कम हो जाती है
·         मूत्र कम आना या बंद हो जाना
·         हाथ, पैर और टखने में सूजन
·         चेहरे पर सूजन
·         सांस फूलना
·         हाई ब्लड प्रेशर
·         अत्यधिक रक्तस्त्राव, रक्त की कमी, तेज बुखार
·         हाई ब्लड प्रेशर से सांस लेने में दिक्कत
·         सीने में दर्द, शरीर कुछ हिस्सों में ऐंठन या झटके आना, रक्त की उल्टियां होना और असामान्य दिल की धड़कन एंव कोमा में जाना जैसे गंभीर लक्षण
·         कमजोरी और थकान महसूस होना
·         स्मरणशक्ति कम हो होना
·         रक्त में पोटेशियम की मात्रा में वृद्धि होना

एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों का शीघ्र उपचार –
·         एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों की शीघ्रता से जांच व उपचार। इन मरीजों में किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट के संभावित कारणों की लगातार जांच कर प्रांरभिक उपचार करवाना।
·         ब्लड प्रेशर को गिरने से रोकना और इसका शीघ्र जांच करवाना।
·         किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं को न लेना और इंफेक्शन का शीघ्र उपचार करवाना और यूरिन की मात्रा को नियंत्रित रखना।

·    उल्टी, दस्त, मलेरिया जैसे किडनी खराब करनेवाले रोगों का तुरंत निदान और उपचार से एक्यूट किडनी फेल्योर को रोका जा सकता है।

एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद एक भारतीय प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। इस प्रणाली में भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई थी। आयुर्वेद दो संस्कृत शब्दों (आयुष) जिसका अर्थ जीवन है तथा (वेद) इसका अर्थ (विज्ञान) है से मिलकर बना है। इसका शाब्दिय अर्थ है (जीवन का विज्ञान)। अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार के बजाय स्वस्थ जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है - दोष, धातु, मल और अग्नि। आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें मूल सिद्धांतया आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांतकहा जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा, आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र
भारत में किडनी का उपचार के लिए कर्मा आयुर्वेदा प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं। 

Comments

  1. Really your article about polycystic ayurvedic kidney treatment in india in Ayurveda is very informative in Hindi .Thanks for sharing with us .

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