क्या अपने आप किडनी स्वस्थ हो सकती है?


हम सभी लोग किडनी की महता से परिचित है, यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत से कार्यों को अंजाम देती है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने का सबसे जरूरी कार्य करती है। इन अपशिष्ट उत्पादों में किडनी शरीर से अतिरिक्त क्षार (salt), अम्ल (acid), पोटेशियम, यूरिक एसिड, यूरिया जैसे उत्पाद शामिल है उनको भी पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकालती है। किडनी के इस काम से शरीर में रसायनों का संतुलन बना रहें और शरीर का विकास ठीक से हो सकें। किडनी के मुख्य कार्य की बात करे तो आपको बता दें कि किडनी का मुख्य कार्य रक्त शुद्ध करना होता है। रक्त साफ करने के दौरान ही किडनी अपने इस काम को अंजाम देती है। लेकिन कई वजहों से किडनी बीमार हो जाती है, जिसके चलते किडनी अपने इन महत्वपूर्ण कार्यों को करने में असमर्थ हो जाती है। किडनी विफल होने के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। कर्मा आयुर्वेदा” किडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही खराब किडनी को ठीक करता है।

किडनी अपने आप कैसे ठीक हो सकती है?
जब किसी व्यक्ति को यह पता चलता है कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है, तब वह व्यक्ति किडनी को पुनः ठीक करने के लिए तरह-तरह के उपचार लेना शुरू कर देता है। किडनी को ठीक करने के लिए रोगी एलोपैथी या आयुर्वेदिक उपचार को चुनता है। एलोपैथी उपचार अपनाने वाले व्यक्ति को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे जटिल उपचार का सामना करना पड़ता है और आयुर्वेदिक उपचार लेने वाले रोगी को संतुलित आहार, व्यायाम और प्राकृतिक औषधियों का सामना करना पड़ता है। एलोपैथी उपचार के मुकाबले आयुर्वेदिक उपचार ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि यह रोग को जड़ से खत्म करता है।  अक्सर कई लोगो का यह सवाल रहता है कि क्या किडनी अपने आप बिना औषधियों के ठीक हो सकती है। तो आपको बता दें कि इस विचित्र से प्रशन का उत्तर “ना” में हैं। किडनी फेल्योर को बिना औषधियों के नहीं हराया जा सकता। रोगी को एलोपैथी या आयुर्वेदिक दोनों उपचार में किसी एक उपचार को चुनना ही पड़ेगा। हम आपको सलाह देंगे कि आप आयुर्वेदिक उपचार को ही चुने। हम इस बात से जरुर सहमत है की हमारा शरीर अपने आप ठीक होने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन जब रोग अपनी चरम सीमा पर होता उस समय आपको दवाओं की जरूरत पड़ती है।

हाँ, कुछ स्थितियों में ऐसा जरुर संभव है। अगर किडनी की बीमारी अपने सबसे शुरूआती दौर में हैं तो किडनी अपने आप ठीक हो सकती है। ऐसा दो प्रकार से संभव है, पहला आप निर्जलीकरण से बचे और दूसरा उचित और संतुलित आहार का ही सेवन करें।  किडनी खुद को ठीक कर सकती हैं, लेकिन नेफ्रोन को ठीक नहीं कर सकती। किडनी फिल्टर्स यानी नेफ्रोन यह किडनी की छोटी कोशिकाएं होती हैं, यही से रक्त शुद्ध होकर पुरे शरीर में प्रवाहित होता है। रक्त साफ करते समय नेफ्रोन खनिज, अपशिष्ट जल, शर्करा, प्रोटीन और नमक को हटा देते हैं, जिससे रक्त ठीक से शुद्ध हो पाता है। किडनी के पास काफी नेफ्रोन होते है, जिसमे से कुछ नेफ्रोन क्षतिग्रत होने किडनी पर कोई खास असर नहीं पड़ता, लेकिन काफी मात्रा में नेफ्रोन खराब होने पर किडनी विफल होना शुरू हो जाती है। जिसके बाद रोगी को दवाओं की जरुरत पडती है।

नेफ्रोन निर्जलीकरण के कारण क्षतिग्रस्त होते है। शरीर में पानी की कमी के कारण रक्त गढ़ा होने लगता है, जिसे नेफ्रोन को शुद्ध करने में समस्यां होने लगती है और वह क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाते हैं। इसलिए आपको अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने की जरूरत है और हर दिन पर्याप्त पानी प्राप्त करने के लिए अपने गुर्दे को अपने खून को साफ करने का महत्वपूर्ण काम करने दें। क्योंकि अगर यह आपके शरीर में निर्मित रक्त जहर को साफ नहीं कर सकता है। कम पानी पीने की आदत के अवाला निर्जलीकरण के पीछे कुछ पेय प्रदार्थ भी है। कॉफी, चाय, सोडा और एनर्जी ड्रिंक शरीर में पानी की कमी कर सकते हैं। शरीर में पानी की कमी होने के कारण किडनी में पथरी भी बन जाती है। इसलिए किडनी को स्वस्थ रखने के लिए उचित मात्रा में पानी पिये।

किडनी खराब होने के पीछे क्या कारण हैं?

किडनी कभी भी अपने आप खराब नहीं होती, इसके खराब होने के पीछे हमेशा कोई न कोई कारण होता है। वाही किडनी अचानक से भी खराब नहीं होती। हाँ किसी दुर्घटना के चलते किडनी अचानक खराब हो सकती है, जैसे – अंदरूनी चोट, किसी दवा का नकारात्मक प्रभाव सीधा किडनी पर पड़ने से आदि। किडनी खराब होने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके पीछे कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है –

उच्च रक्तचाप की समस्या –
किडनी खराब होने के पीछे उच्च रक्तचाप सबसे बड़ा कारण माना जाता है। रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाने पर व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने लगती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी को रक्त शुद्ध करने के दौरान फिल्टर्स पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझने वाले व्यक्तियों को नमक का सेवन ना के बराबर ही करना चाहिए, आप साधारण नमक की जगह सेंधा नमक को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

मधुमेह की समस्या –
मधुमेह किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, शर्करा से भरे हुए रक्त को शुद्ध करते समय किडनी के नेफ्रोन पर दबाव पड़ता है। किडनी के नेफ्रोन पर लगातार दबाव पड़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है। अगर किडनी रोगी मधुमेह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो उन्हें रक्त शर्करा को काबू में रखना चाहिए।

मूत्र विकार की समस्या –
पेशाब से जुड़ी सभी समस्याएं सीधे किडनी से जुड़ी हुई हैं। पेशाब कम आना या पेशाब ज्यादा आना दोनों किडनी में समस्या की तरह इशारा करते हैं। इसके आलावा पेशाब का रंग बदला, जलन होना, गंध आना यह सभी मूत्र संक्रमण की इशारा करते हैं। सही समय पर उचाप ना मिलने पर इस बीमारी के कारण किडनी खराब हो जाती है।

दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन -
अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। जिससे किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं को नेफ्रोटॉक्सिक दवाओं के नाम से जाना जाता है। नेफ्रोटॉक्सिक दवाएं किडनी में रक्त प्रवाह को बाधित करने के साथ-साथ रक्त शुद्ध करने की प्रक्रिया को भी रोकती है। अगर आप पहले से ही किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इबुप्रोफेन जैसे एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एंटीबायोटिक किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।

किडनी को स्वस्थ रखने के क्या खाएं?
अगर आप अपनी किडनी को खुद ठीक करना चाहते हैं या अपनी किडनी को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो आपको अपने आहार में निम्नलिखित बातों का खास ध्यान रखना चाहिए :-
Ø  किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आप लौकी, खीरा, गाजर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, तुरई जैसी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। यह सभी सब्जियां किडनी किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है। आप चाहें तो इन सब्जियों को जूस के रूप में अपने आहार में शामिल कर सकते हैं, लेकिन शर्त यह है कि जूस एक दम ताज़ा हो।

Ø  प्रोटीन वैसे तो शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है, लेकिन प्रोटीन का अधिक सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शरीर में अधिक मात्रा में प्रोटीन होने पर किडनी के फिल्टर्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। इसी कारण आपको प्रोटीन युक्त आहार का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।

Ø  पोटेशियम अगर शरीर में इसकी अधिक मात्रा हो जाय तो किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। इसलिए पोटेशियम युक्त आहार का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। आपको आम, केला, सेब, चीकू, खजूर और अंगूर जैसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, इन फलों में पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है।

Ø  मधुमेह किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है, इसलिए मधुमेह रोगी को इसे काबू में करने की काफी जरुरत है। मधुमेह को काबू में करने के लिए आप जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करें, यह सभी फल आपकी मीठा खाने की इच्छा पूरा करने के साथ-साथ रक्त शर्करा को भी काबू में करते हैं। वहीं सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलजम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, पत्तागोभी और दूसरी अन्य पत्तेदार सब्जियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

Ø  किडनी की समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति को अपने आहार में से पोटेशियम युक्तर खाद्य पदार्थों की कटौती करनी चाहिए। हालांकि पोटेशियम का सेवन तभी कम करना है, जब इसकी आवश्यकता हो, यह फिर आपकी किडनी का फंग्शपन 20 प्रतिशत से भी नीचे चला गया हो। शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम करने के लिए आप संतरा, पालक, अनार, केला, अंगूर, टमाटर, केला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।


कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

भारत में किडनी का उपचार के लिए कर्मा आयुर्वेदा प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है।
वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर के रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन पुर्णतः आयुर्वेद पर ही विश्वास करते हैं और आयुर्वेद की मदद से किडनी से जुड़ी बीमारी का निदान करते है। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हजार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।

Comments

  1. Great Post ,Really very informative article for ayurvedic kidney treatment in India Ayurveda.
    Thanks for sharing with us .

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

How Ayurvedic medicine for kidney damage is the best solution?

How to reverse kidney damage by Ayurveda?

Effective Polycystic kidney disease treatment in ayurveda - Karma Ayurveda